नई दिल्ली, 15 अगस्त (आईएएनएस)। एक समय था, जब बॉलीवुड में देशभक्ति का मतलब आम तौर पर युद्ध की महिमा और वीरता का महिमामंडन करती भावनाओं से भरी हुई वार-एक्शन फिल्में होती थी, हालांकि अब ट्रेंड बदलता नजर आ रहा है।
ट्रेड एनालिस्ट गिरीश जौहर ने आईएएनएस को बताया, अब कहानी कहने का अंदाज बदल गया है। हम जानते हैं कि आजादी के दौर में क्या हुआ था और हमने उस पर बहुत सारी फिल्में, डॉक्यूमेंट्री देखी हैं। अब, हम व्यक्तिपरक कहानियों और उनकी चुनौतियों को बताने की कोशिश कर रहे हैं।
कई सालों तक मनोज कुमार ऐसा नाम बना रहा, जो देशभक्ति वाले फिल्मों के नाम आते ही सबसे पहले जेहन में आता था। देशभक्ति का अगला उल्लेखनीय नाम सनी देओल के साथ आया। देशभक्ति वाले उनकी फिल्मों में बॉर्डर और गदर : एक प्रेम कथा देखी गई। वहीं एक दौर भगत सिंह पर बनी फिल्मों की भी थीं, जिसमें बॉबी देओल भी नजर आए। वहीं द लीजेंड ऑफ भगत सिंह में अपने किरदार के लिए अजय देवगन को राष्ट्रीय पुरस्कार भी दिया गया।
वहीं बॉलीवुड की नई देशभक्ति में कई अलग-अलग विषयों को दर्शकों के सामने पेश किया गया। नए ट्रेंड को अपनाने वाले सुपरस्टार्स में अभिनेता अक्षय कुमार भी शामिल हैं। उनकी ऐसी परियोजनाओं में एयरलिफ्ट, गोल्ड, पैडमैन, मिशन मंगल, और बेबी जैसी फिल्में दिमाग में आती हैं, जिसने देशभक्ति को एक अलग नजरिया दिया।
फिर राजकुमार राव की न्यूटन, आलिया भट्ट की राजी, जॉन अब्राहम की परमाणु सामने आईं, जिसमें कभी लोकतंत्र, तो कभी दूसरे देश में जाकर जासूसी तो कभी देश के गौरवशाली इतिहास को सामने लाकर देशभक्ति की परिभाषा दी गई। इसके बाद अजय देवगन की तानाजी : द अनसंग वारियर और कंगना रनौत की मणिकर्णिका : द क्वीन ऑफ झांसी ने इतिहास के वीरों को पर्दे पर जीवंत कर दिया।
इस सप्ताह रिलीज हुई गुंजन सक्सेना : द कारगिल गर्ल में जहां महिला सशक्तिकरण को देशभक्ति से जोड़कर पेश किया गया, तो वहीं फिल्म मिशन मंगल में महिलाओं की उपलब्धियों को देश के गौरव के साथ जोड़ कर दिखाया गया।
ऐसी ही कई अन्य फिल्में हैं जिन्होंने देशभक्ति को नई दिशा दी जैसे दंगल, सत्यमेव जयते, चक दे! इंडिया, भाग मिल्खा भाग, सुई धागा और मुल्क, रंग दे बसंती हैं।
एमएनएस/एसजीके
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RACHNA SAROVAR
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